आज के वचन पर आत्मचिंतन...
कैसे संसार जानेगा की परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा ? हमारी एकता से ? कैसे संसार जानेगा की परमेस्वर हमे अपने बच्चो की तरह प्यार करता है ? जब हम एक साथ एकता में जीते है । वह एकता क्या है ? उसे परिभाषित करना कठिन है। एकता का आधार चरित्र से भरा जीवन जो परमेश्वर की इच्छा से इतना अनुकूल हो की हम में वो दिखाई पड़े ! फिर भी इस प्रकार की एकता संसार को दिखाई दे ,इसके लिए हमे सुसमाचार के प्रति एक दूसरे के साथ काम करना पड़ेगा की वो हमारे कामो में दिखाई दे सके, जिस तरह से हम अपने अलगाव को सँभालते है, जिस तरह से एक समूह की तरह हम संसार के लोगो से निरंतर बर्ताव करते है, और जिस तरह हम एक साथ उन क्षेत्रो के लिए इकठा होते है जो स्पष्ट रूप से परमेश्वर के लिए महत्व रखते है। संभवतः ऐसा ही हो !
मेरी प्रार्थना...
पिता, कृपया हमारी , तेरे बच्चो की सहायता कर , की एक साथ ऐसे आये की तेरा आदर हो, तेरा चरित्र प्रगट हो, और औरो को येशु को प्रभु कहने में उनकी अगुवाई कर सके । येशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ । अमिन।