आज के वचन पर आत्मचिंतन...
उदारता, यह प्रेम है जो प्रत्यक्ष रूप में आनंद से अभिव्यक्त किया गया हो। उदारता और इन्साफ यह दो भाव आज अधिक आवश्यक है हमारे इस स्वार्थी संसार में। वह अनुग्रह द्वारा स्पर्श किये हुए हृदय से आते है और एक पिता से जो अनुग्रहकारी हैं।
Thoughts on Today's Verse...
Generosity is love expressed in practical ways with joy. Generosity and justice are two character traits more needed in our selfish world — and traits of God who characterized himself as having righteous character, gracious compassion, and justice with faithful lovingkindness (Exodus 34:5-7; Psalm 85:4-13). These three traits come into our world from hearts touched by our Father's generosity, faithfulness, and love!
मेरी प्रार्थना...
प्रेमी पिता, मैं जनता हूँ की मैं आज लोगो से मिलूंगा जिन्हे आवश्कयता होगी मेरे प्रेम, मेरे समय, मेरी क्षमा और मेरे धन में मेरी उदारता की। कृपया मेरी सहायता करे की मैं उनसे न्यायपूर्ण और प्रेम से व्यवहार करू, जैसे आपने मुझसे किया हैं। होने दे की मेरा जीवन से औरों पर आपके अनुग्रह का प्रतिबिभ प्रकाशित हो जिन्हे आपके प्रेम की आवश्कयता हो। यीशु के नाम से मैं प्रार्थना करता हूँ। अमिन।
My Prayer...
Loving Father, I know I will meet people today who need me to be generous with my love, my time, my forgiveness and my money. Please help me to treat them fairly and with love, just as you have treated me. May my life reflect your grace to others who need your love. In Jesus name I pray. Amen.