आज के वचन पर आत्मचिंतन...
"वृद्ध पुरषों को शिक्षा दे ?" " जवानों से सीखें ?" इस वचन में अत्यंत ही गंभीर समझ हैं और आदर गड़ा हुआ हैं जो पीढ़ियों को ऊंचा उठता हैं। इतिहास में पाहिले बार हममे से कुछ जो अपनी स्थानीय कलिस्या को पांच पीढ़ियों के लोगों के साथ बाट रहे हैं। पौलुस के चुनौती भरे शब्द आज हमारे लिए और भी मायने रखते हैं। उनके लिए जो हमारे जवान हैं उनको ऐसे अगुवों और सलहकारों की जरुरत हैं जो चरित्रवान हो, यदि बदलाव और नवीनीकरण कायम रहनेवाला होना चाहते हैं। वे जो वृद्ध हैं उनको यह समझ ने की जरुआत हैं की परमेश्वर जवानों की आवाज़ का उपयोग करते हैं की अपना सत्य कहें और नवीनीकरण लाये । हमें जरुरत हैं की हम प्रेम, आदर और प्रार्थना एक दूसरों के साथ करें जबकी हम हमारे इस समय में परमेश्वर के लोग होने की कोशिश कर रहे हैं !
Thoughts on Today's Verse...
"Teach older men? I expect some older folks are thinking, "I'm supposed to learn about life from younger folks? You've gotta be kidding me!" Nevertheless, Paul places in this message a profound understanding and respect that transcends generational differences. We can learn God's truth from fresh voices inspired by the Holy Spirit! For some of us who share our local churches with five generations of people for the first time in human history, Paul's challenging words mean even more to us today than when he shared them with a young servant of God named Titus. Younger people need leaders and mentors who are people of character if transformation and renewal are to be sustainable for them. Yet those who are older need to realize that God often uses the voices of the young to speak his truth and bring renewal when his people become lethargic, set in their ways, and predictable. We must love, respect, and pray for each other as we seek to be God's people in our time, and this means listening to each other to hear the voice of God!
मेरी प्रार्थना...
हे परमेश्वर, कृपया हमें बुद्धि, धीरज और हमारे परिवारों में आदर दीजिये की हम हर एक व्यक्ति को मूलयवान जाने, हर एक के चरित्र और परिपक्वता की आवाज़ को सुने बिना किसी के उम्र की परवाह किये बगैर, और यह भी की हम आपके सत्य को सुनने के लिए खुले हो चाहे फिर उसे कहने के लिए किसी का भी इस्तेमाल करें। यीशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ । अमिन।
My Prayer...
O God, please give us wisdom, patience, and respect. As your family, we need your help to value each person, listen to people of character and maturity regardless of age, and open our hearts to your truth no matter who you use to speak it. In Jesus' name, I pray. Amen.