आज के वचन पर आत्मचिंतन...
मैं परमेश्वर का धन्यवाद देता हूँ पौलुस के आत्मविश्वास के लिए जबकि वह मृत्यु का सामना कर रहा था। वह सबकुछ हैं परन्तु तीरस्कारित नहीं और कलीसिया के भविष्य के लिए चिंतित हैं, परन्तु वह दो बाते जनता हैं: उसने परमेश्वर की सेवा विश्वासयोग्यता से किया और यह की प्रभु उसे ग्रहण करेंगे जब वह मर जाएंगा ! क्या यह दोनों हमारे जीवन के सर्वाधिक लक्ष्य नहीं होने चाहियें ? तो यदि यह हमारे लक्ष्य हैं, हम कैसे जीते हैं प्रत्येक दिन उन्हें पूरा करने के लिए?
Thoughts on Today's Verse...
I am so thankful for Paul's confidence as he faced his death. He is all but abandoned while he is in prison (2 Timothy 4:10-13). He is worried about the future of the Church (Acts 20:25, 28-31; 2 Timothy 4:3-10), yet he is also confident in two truths: (1) He has served the Lord faithfully (2 Timothy 4:6-8), and (2) the Lord will receive him when he dies (Philippians 1:19-21; 2 Timothy 4:6-8). Shouldn't those two truths be our most important goals in life? Since they are our goals, let's encourage each other to live each day for Jesus as we anticipate them coming true in us!
मेरी प्रार्थना...
विश्वासयोग्य और प्रेमी परमेश्वर, आपने मुझे अपने अनुग्रह से मुझे बहुतायत से उद्धार की आशीष दिया हैं । कृपया कभी कभी मुझे उस अनुग्रह के बहुतायत से हटा के मजबूत बना । मैं कई दफा अपने विश्वासयोग्यता में कमजोर पड़ जाता हूँ और डगमगा जाता हूँ। मैं जनता हूँ की आपका अनुग्रह उदार हैं, लेकिन मैं उसके प्रति ढिठाई नहीं करना चाहता और गैरइस्तेमाल नहीं करना चाहता। मुझे हियाव और शक्ति दे की विश्वासयोग्यता से और जोश से आपके लिए जी सकूँ जब तक आपका चेहरा आमने सामने नहीं देख लेता, और आपके महिमा और जीत को आपके साथ बाटता नहीं । येशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ। अमिन ।
My Prayer...
Faithful and loving God, you have richly blessed me with salvation by your grace. Please strengthen me out of the riches of that grace. I am sometimes weak and falter in my faithfulness. I know your grace is lavish, but I don't want to presume on it or abuse it. So please give me strength and courage to live faithfully and passionately for you until I see you face to face and share with you in your glorious victory. In Jesus' name, I pray. Amen.