आज के वचन पर आत्मचिंतन...

शमूएल ने अपनी सेवकाई बहुत ही काम उम्र में किया था और न्यायियों के समय काल और राजाओं के समय काल के बिच वह एक काफी महत्वपूर्ण मध्यस्थ रहा। उस पुरे समय परमेश्वर उसके साथ था और उसकी सेवकाई को सामर्थ दिया, उसके शब्द को सत्य और प्रभावशाली बनाया। आइयें प्रार्थना करते हैं की परमेश्वर आज भी अपने प्रवक्ताओं के साथ भी ऐसा ही करें । ऐसा हो की परमेश्वर अपने सेवकों को प्रभावित तौर पर सम्पूर्ण जीवन भर इस्तेमाल करे और उनके कोई भी शब्द खली जमीं पर न गिरें ।

मेरी प्रार्थना...

आज, हे परमेश्वर, मैं आपसे मांगता हूँ की संसार भर में आपके वचनों को फ़ैलाने वाले आपके विश्वासयोग्य दसों को आप शक्ति दे। कृपया उन्हें शैतानी हमलों के काल से आज़ादी की आशीष दीजिये। उन्हें स्वास्थ्य, जोश और जूनून से आशीषित करें।कृपया उन्हें अनुग्रह द्वारा एक काम्याबी की सेवकाई से भरा लम्बा जीवन दीजिये। यीशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ। अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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