आज के वचन पर आत्मचिंतन...

जब आप वचन की आज्ञा सुनते हैं,तो क्या आपको दर्द महसूस होता है? आपका तर्क कैसा होता है? अपनी जिम्मेदारियों को किसी और पर डालना कैसा होता है? या क्या आप आज्ञाओं को मानते हैं ताकि पिता को आदर मिले ? एक बुद्धिमान ह्रदय परमेश्वर की आज्ञाओं को आशीष और सुरक्षा के रूप में स्वीकार करता है| एक मुर्ख परमेश्वर की आज्ञाओं को अपने ब्याक्तिगत जीवन में लागु करने के बदले उसके आस पास का रास्ता खोजता है| तो क्यों न आप अपने आप से बड़ी ईमानदारी के साथ यह प्रश्न करें, की इन दोनों में से मैं कौन सा हूँ?

मेरी प्रार्थना...

बहुमूल्य एवं दयालु परमेश्वर,मेरे स्वर्गीय पिता अपनी सच्चाई और आज्ञाओं को दिखाने के लायक मुझसे पर्याप्त प्रेम करने के लिए आपका धन्यवाद| मेरी आज्ञाकारिता का इस्तेमाल करे ताकि आपका स्वाभाव मुझ में हो और मेरा उदाहरण उन लोगो को जिसे आपने मेरे जीवन में मुझे दियें हैं उनके बीच अच्छा प्रभाव ला सके| येशु के नाम से मांगता हूँ | आमीन!

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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