आज के वचन पर आत्मचिंतन...

इन वायदों को सच्चे आराधक के लिए दिया गया है (देखे भजन संहिता ८४.)ए आराधक परमेश्वर की उपस्थिति में आनंदित और जहा संभव न हो वहां भी उसके साथ आराधना में होते हैं|इस तरह के आराधक परमेश्वर पर सम्पूर्ण रूप अपनी ताकत, आशा, विजय एवम आनंद के रूप में भरोषा रखते हैं|इस तरह के आराधक के लिए परमेश्वर ने अद्भुत वायदों को रख छोड़ा है|रोमियो ८ और इसी तरह के प्रमाणित पद २८ में परमेश्वर ने वायदा किया है की "जो परमेश्वर से प्रेम रखते हैं उनके लिए सारी बाते मिलकर भलाई को उत्त्पन्न करती हैं अर्थात उन्ही के लिए जो उसकी इच्छा से बुलाये गए हैं" " मसीह में, हरेक वस्तु हमें दी और उसने कुछ भी भली चीज नहीं रख छोड़ी" (रोमियो ८:३२) क्यों? परमेश्वर हमारे लिए है! वह हमारी ढाल व पुत्र है, उसने हम पर अपनी महिमा और अनुग्रह उदारता से दिया है, और वह कोई भी भली वस्तु हमसे रख नहीं छोड़ेगा|

Thoughts on Today's Verse...

These promises are made to the true worshiper (see Psalm 84. This worshiper delights to be in the presence of God and yearns to be with God in worship when he cannot be. This worshiper trusts fully in God as his source of strength, hope, victory, and joy. For this worshiper, God has left this incredible set of promises! Very similar to Romans 8, and its hallmark passage in verse 28, God promises to work out things for good and bless those who "love him and are called according to his purpose" "all things in Christ" and withhold nothing that is good (Rom. 8:32). Why? God is for us! He is our sun and shield, he lavishes his grace and glory upon us, and he will not withhold any good thing from us.

मेरी प्रार्थना...

हे प्रिय पिता, किस तरह से मैं आपका धन्यवाद करू? आपने अपने अनुग्रह को येशु में मुझे उदारता से दिया|आपने मुझे विजय और स्वर्ग के लिए वायदे किये| आपके अनुग्रह के लिए मैं आपकी स्तुति करता हूँ|आपने अपनी महिमा मुझसे बाटी उसके लिए धन्यवाद|आप मुझे आशीष देने के लिए आतुर होते हैं यह बात मुझे आनंदित करती है|अब, मेरे प्रिय पिता एक विस्वश्योग्य ब्यक्ति बनने में जिसकी आप कामना करते हैं, पवित्र आत्मा की सहायता से मेरी मदत करें|येशु के नाम से मांगता हूँ | आमीन!

My Prayer...

O dear Father, how can I thank you? You have lavished your grace upon me in Jesus. You have promised me victory and heaven. I praise you for your grace. I thank you for sharing your glory with me. I rejoice knowing that you long to bless me. Now, dear Father, help me through your Holy Spirit to be the faithful person you long for me to be. In Jesus' name I pray. Amen.

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

Today's Verse Illustrated


Inspirational illustration of भजन संहिता ८४:११

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