आज के वचन पर आत्मचिंतन...
क्या आप हमेशा अंत में चुने जा रहे थे? क्या आप उनमे से हैं जिसे कोई भी अपने दल में जगह देना नहीं चाहते? क्या ये उलेखनीय नहीं है की परमेश्वर ने येशु में हमें चुना! क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है कि हम युग के राजा और उसके पुत्र येशु मसीह के द्वारा प्यार किये जाते हैं!और एसा नहीं कि हमें दया की वजह से चुना गया हो लेकिन हमें चुना गया ताकि हम बदलाव को लायें|हम चुने गए ताकि कभी ना ख़त्म होने वाला फल ला सकें| हम चुने गए ताकि फल ला सकें और उस उत्पादकता को बनाये रख सके,येशु ने हमसे वायदा किया है की हम उसके राज्य और उसके काम के लिए परमेश्वर से आशीष मांग सकते हैं और वह हमें अद्भुत रीति से आशीष देगा!
मेरी प्रार्थना...
हे परमेश्वर,मुझे एक खुला हुआ ह्रदय दें जो आपके काम और दर्शन, जो आपके अनुग्रह इतना विस्तृत हैं जान सकें| मेरी प्रार्थनाए उन वस्तुओं को मांगे जो आपको महिमा दें, आपके राज्य की सीमाओं को बढ़ाएं और सीमित चीजों से परे हों हैं जो अक्सर मुझे विचलित करते हैं| येशु के नाम में| आमीन!