आज के वचन पर आत्मचिंतन...
आपके महत्त्व का स्त्रोत क्या है? इस नीतिवचन ने हमें हमारी संस्कृति से ऊपर उठ कर देखने के लिए चुनौती दी है| अधिनता विनम्रता के साथ सहानुभूति परमेश्वर के द्वारा महत्व दिया जाता है, न की निंदा, शक्ति, अहंकार| परमेश्वर ने साधारणतः ही हमें इस नीतिवचन को नि दिया, बल्कि उसने अपने पुत्र को इसे प्रदर्शन करने के लिए भेजा|अब जब हम इसे जीना सिख गए| आह! लेकिन यीशु हमें यह दिखाने का मौका देता है जब वह कहता है, "मेरे पीछे आओ!" (यहुन्ना 13)
Thoughts on Today's Verse...
What is your source of significance? This proverb challenges us to view the world upside down to the rest of culture. Humility and association with the lowly and oppressed are valued by God. Abusive power and arrogance are not. God didn't just give us this proverb, he sent us his Son to demonstrate it. Now if we can only learn to live it. Ah! But Jesus does give us the opportunity to demonstrate it when he says, “Follow me!” (cf. John 13)
मेरी प्रार्थना...
पिता, मैं अपनी कमजोरी और प्रलोभन की भेद्यता को पहचानता हूं, मेरे संस्कृति के मुखिया के आकर्षण के लिए, और "लोकप्रिय भीड़" के समान होने का दबाव। यीशु के लिए धन्यवाद, जिनके पास शक्ति थी, लेकिन नम्रता को प्रदर्शित किया था, जिनके पास पद होते हुए भी, छोड़ा हुआ, भुलाया गया हुआ, अस्वीकार कर दिया गया था। कृपया मुझे दुनिया में बदलाव लाने के लिए उपयोग करें उन लोगों के लिए, जो बाहर छोड़ दिये गये है, भुला दियें गए हैं, और बेदखल कर दिए गए हैं, येशु के नाम में। आमीन|
My Prayer...
Father, I do recognize my weakness and vulnerability to temptation, to the lure of my culture's facades, and to the pressure to be like the "popular crowd." Thank you for Jesus, who had power but displayed humility, who had position but identified with the abandoned, forgotten, and rejected. Please use me to be a difference-maker in my world by including those who are left out, forgotten, and disenfranchised. In Jesus name. Amen.