आज के वचन पर आत्मचिंतन...
सत्य एशि कोई बस्तु नहीं है जिसे हम सिर्फ जाने बल्कि उससे जियें| येशु हमें हमेशा यद् दिलाते हैं की हम उसकी शिक्षाओं को न सिर्फ जाने बल्कि आज्ञापालन करें| हालांकि, आज्ञापालन हमारे शिष्यत्व जो की सचाई और आजादी के लिए द्वार के रूप में प्रमाण हैं|
मेरी प्रार्थना...
पिता, आपकी आज्ञाकारीता को अपनी इच्छा से साधारण समझने के लिए माफ कर दो। कभी-कभी आपका तरीका प्रतिबंधात्मक और कठिन लगता है| हालांकि, प्रिय पिता, अपने दिल कि गहराई से वास्तव में विश्वास करता हूं कि आपकी इच्छा एक आशीर्वाद है न कि कोई बाधा। मेरा इस्तेमाल करें ताकि दूसरो को बता सकूँ कि आपकी आज्ञापालन से आनंद प्राप्त होता है| यीशु के नाम में मैं प्रार्थना मांगता हूँ|आमीन।