आज के वचन पर आत्मचिंतन...

क्या यह अच्छा नहीं की हम अकेले गीत गा सकते है और यह जानले की परमेश्वर को हमारे गीत पसंद भी है ! क्या यह और भी बेहतर नहीं की हम औरो को भी स्तुति के गीतों में शामिल करे और आश्चर्य में, प्रेम में, और स्तुति में हम खुद को खो दे! आइये आज को दूसरे विश्वासियों की खोज में और मिलकर परमेश्वर की स्तुति करने में बिताये । संसार भर में , सैकड़ों से हजारों गीत , आइये दूसरे विश्वासियों तक पहुंचे और उन्हें भी जुड़ने के लिए कहिये की वे भी हमारे साथ प्रभु की महिमा करे !

मेरी प्रार्थना...

सर्वसमर्थी और दयालु परमेश्वर, कृपया मेरी स्तुति से और दुसरो जोड़कर आपको महिमा देने की मेरी कोशिश से आप खुश होना। मुझे मेरे पापों , गलतियों और कमजोरियों के लिए माफ़ कर । आप के अध्भुत अनुग्रह के प्रति एक जीवित गवाह बनने के लिए मुझे समर्थ दे । येशु के नाम से । आमीन ।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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