आज के वचन पर आत्मचिंतन...

जंहा पर सबसे खूँखार शिकारी भी अपने सुरक्षा की और आहार की निश्चिन्ता नहीं दे सकता है, जिनकी भूख परमेश्वर हो वे खुदको तृप्त, आशीषित और बना हुआ पाएंगे।

मेरी प्रार्थना...

धन्यवाद् पिता आपके वाकडे के लिए की आप कभी नहीं छोड़ेंगे और ना ही त्यागेंगे, चाहे जबकि मेरे दोस्त और सहभागी मुझे धोखा देंगे और त्याग देंगे । मैं अंगीकार करता हूँ की कई बार समझ नहीं पता, अधिक कम विश्वास,की आप हमेशा विश्वास योग्य है। अस्पष्ठ और दर्द भरे क्षण भी आते है और आपके अनुग्रह पर मेरे भरोसे मैं डगमगा जाता हूँ। कृपया मुझे क्षमा कर और मेरी आशा को नया कर । हाँ मैं विश्वास करता हूँ प्रिय पिता की आप मुझे प्रेम करते है जैसा कोई नहीं कर सकता है । मैं विश्वास करता हूँ, सर्वसमर्थी परमेश्वर, की आप मेरे जख्मो और चिंताओं के प्रति ध्यान रखते है । मैं खुदको आपके रोजाना देख रेख, उपाय और मेरे लिए आपके अनुग्रह के प्रति आज के दिन अपने हृदय को आपके प्रति पुनः समर्पित करता हूँ ।येशु के नाम से । आमीन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। phil@verseoftheday.com पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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