आज के वचन पर आत्मचिंतन...
जंहा पर सबसे खूँखार शिकारी भी अपने सुरक्षा की और आहार की निश्चिन्ता नहीं दे सकता है, जिनकी भूख परमेश्वर हो वे खुदको तृप्त, आशीषित और बना हुआ पाएंगे।
Thoughts on Today's Verse...
While even the most fierce hunters cannot ensure their security and nourishment, those whose hunger is for God will find themselves nourished, blessed, and sustained.
मेरी प्रार्थना...
धन्यवाद् पिता आपके वाकडे के लिए की आप कभी नहीं छोड़ेंगे और ना ही त्यागेंगे, चाहे जबकि मेरे दोस्त और सहभागी मुझे धोखा देंगे और त्याग देंगे । मैं अंगीकार करता हूँ की कई बार समझ नहीं पता, अधिक कम विश्वास,की आप हमेशा विश्वास योग्य है। अस्पष्ठ और दर्द भरे क्षण भी आते है और आपके अनुग्रह पर मेरे भरोसे मैं डगमगा जाता हूँ। कृपया मुझे क्षमा कर और मेरी आशा को नया कर । हाँ मैं विश्वास करता हूँ प्रिय पिता की आप मुझे प्रेम करते है जैसा कोई नहीं कर सकता है । मैं विश्वास करता हूँ, सर्वसमर्थी परमेश्वर, की आप मेरे जख्मो और चिंताओं के प्रति ध्यान रखते है । मैं खुदको आपके रोजाना देख रेख, उपाय और मेरे लिए आपके अनुग्रह के प्रति आज के दिन अपने हृदय को आपके प्रति पुनः समर्पित करता हूँ ।येशु के नाम से । आमीन।
My Prayer...
Thank you, Father, for the promise that you will never leave me or forsake me even though friends and partners may betray and forsake me. I confess that it is sometimes hard to fully comprehend, much less believe, that you are always faithful. Confusing and hurtful times come and I waver in my confidence in your grace. Please forgive me and renew my hope. I do believe, dear Father, that you love me like no one else can. I do believe, Almighty God, that you care about my wounds and worries. I recommit my heart this day to trust in your daily care, provision, and grace for me. In Jesus' name. Amen.