आज के वचन पर आत्मचिंतन...
परमेश्वर हिंसा से नफरत करता है और चाहता है की हम उनकी सरहाना ना करे जो हिंसक हो या उनकी हिंसक जीवनशैली में भाग रखते है ।(नीतिवचन ३:३१) जो दुष्टता करते है उनसे घृणा करता है । परमेश्वर ना केवल उनके जीते जी उनका सामना करता है, बल्कि उनके मरने के बाद उनके प्रभाव को भी घटा देता है। वे जो वसिट्विकता में है उन्हें उजागर करने में मददत करता है। एक नायक के तौर पर दिखने से काफी दूर, नफरत की उनकी विरासत और दुष्टता ठुकरादी गई, त्यागी गई, अपमानित किया गया और भुला दिया गया है।
मेरी प्रार्थना...
आतंक और दुष्टता के हमारे अपने समय में, हे प्रभु, कृपया दुष्टों की धमकियों को मामूली बना दे और उनकी यादों को गन्दी दुर्गंध बना दे उनके नथनों में जो किसी को धोका देने की कोशिश में लगे है और उनके दुष्ट काम करने में सहयोग कर रहे है ।येशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ। आमीन।