आज के वचन पर आत्मचिंतन...
परमेश्वर प्रेम है । परमेश्वर प्रेम का स्रोत भी है । वह हमारे हृदयों में पवित्र आत्मा के द्वारा प्रेम उंडेलता है ( रोमियों ५:५)। तो हम कैसे अपने कलीसियाओं, परिवारों, छोटे समूह और समाज को और अधिक प्रेमी बना सकते हैं ? जो इन समूहों में है उनमे प्रेम की बढ़ोतरी के लिए परमेश्वर से हम प्रार्थना करते है, उन्हें पता होने दो की हम यह प्रार्थना उनके लिए कर रहे हैं, और उन्ही समूहों को अपने प्रेम बताएं और दर्शाएं ।
मेरी प्रार्थना...
पिता मुझे मद्दत करे की मैं प्रेम का एक उदहारण बनु जो मेरे आसपास हैं उनके लिए । कृपया अपने आत्मा के द्वारा मेरे हृदय में प्रेम उंडेल और उस प्रेम को मेरे जीवन के द्वारा औरों में पहोचा । कृपया हमारी कलीसिया में प्रेमी आत्मा को और अधिक बढ़ने दे, केवल आपस में नहीं पर उनके साथ भी जो हमारे आसपास हैं और हमारे राजकीय परिवार के हिस्सा नहीं हैं । येशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ । आमीन ।