आज के वचन पर आत्मचिंतन...
परमेश्वर के साथ आपकी चल में आपको कहाँ बढ़ने के जरुरत हैं ? कैसा होगा यदि आप अनुग्रह और ज्ञान के लक्ष्यों को एकसाथ अपना लक्ष्य बनादे । अधिकतम हम दोनों में से किसी एक को ही खोजते हैं । पर जब इन में से कोई एक भी दूसरे से अधिक महत्व रखने लगता हैं तब अपने मन में कुछ पागलसा होते दिखाई पड़ता हैं । अनुग्रह और ज्ञान दोनों को एकसाथ ही रहते है क्योकि हम दोनों को हमारे उद्धारकर्ता में एकसाथ ही देखते हैं ।
मेरी प्रार्थना...
पवित्र परमेश्वर मुझे यीशु के सामान और अधिक बढ़ना हैं । मैं जनता हूँ की मैं यह आपके आत्मा की सामर्थ और मेरे दिल की इच्छा के बिना नहीं कर सकता । साथ में प्रिय पिता, मुझे और अधिक अनुग्रहकारी व्यक्ति बनने में बढ़ना हैं । यीशु की उपस्तिथि को मेरे जीवन में जानना और अनुभव करना चाहता हूँ । कृपया इस पवित्र तलाश में मुझे आशीष दे । यीशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ । आमीन ।