आज के वचन पर आत्मचिंतन...
परमेश्वर से प्रेम करो! परमेश्वर में तुम्हारे प्रेम के चलते सामर्थी बनों। दूसरे शब्दों में, पहचानों की तुम्हारी सामर्थ कहाँ हैं । अपने अनुग्रह का स्रोत पहचानों । परमेश्वर की स्तुति करों की वह अपनी पवित्र आत्मा के द्वारा हम पर अपनी भरपूर दया और सामर्थ को उदारता से उंडेलता हैं । प्रभु परमेश्वर अपने लोगों की रक्षा करता हैं । चाहे इस संसार में विश्वासयोग्यता की खिल्ली उड़ाई जाती हो वह आदर करता हैं । प्रभु अपने लोगों को आशीषित करेंगा और जो उनकी निंदा करते और दुर्व्यहवार करते उनसे वह न्यायरूप से व्यहार करेंगा ।
मेरी प्रार्थना...
मुझे सामर्थ दे हे प्रभु, की परीक्षा के समय जब शत्रुओं के साथ और हर तरफ से बैरी हो, मैं खुद को खोज सकू । मुझे कृपया बुद्धि दे की मैं आपके अनुग्रह को देख सकू जो मुझे अगवाई करती हैं । जो कुछ सही, शुद्ध और पवित्र हो उसके प्रति मैं खड़ा रह सकू इस लिए कृपया मुझे हियाव दे । अपनी महिमा के लिए जिन कार्यों को करने के लिए आप मुझे इस्तेमाल करना चाहते है, कृपया उन्हें देखने की दृष्टी मुझे दीजिये । जबकि मैं इंतजार करता हूँ की आपका कार्य मेरे जीवन में पूर्ण हो कृपया मेरी आशा को जोशपूर्ण जीवित रखे । येशु के नामसे प्रार्थना करता हूँ । आमीन।