आज के वचन पर आत्मचिंतन...
मुझे आपके विषय में तो पता नहीं, पर मैंने अपने जीवन के रास्तों में काफी दफा ठोकर खाया हूँ । मैं कई शर्मनाक क्षणों में काफी दफा गिरा भी हूँ । मैं अपने ही पैरों पर, जूतों के फीतों पर, रुकावटों पर, और बस शुद्ध हवा पर भी ठोकर खाया हैं । फिरभी मुझे अपने आत्मिक जीवन के प्रति आत्मविश्वास हैं, जबकि मैंने समय समय पर ठोकर खाई हैं, परमेश्वर ने मुझे पूर्णतः गिरने नहीं दिया । जब मुझे ऐसा महसूस होता हो की मैंने गहरे कुंड के गहराई में गोता लगाया हैं, परमेश्वर का प्रेम, परवाह, देख-भाल, वचन, दास और मददतगार मुझे नाश से बचा के रखते हैं । परमेश्वर का हाथ मुझे उठाता हैं। वह हैं परीक्षा के समय वह होगा । वह बचने में बलवंत रहा हैं । मैं यह विश्वास करता हूँ की वह मेरे यात्रा में आनंदित होता हैं । आपके विषय में क्या ?
मेरी प्रार्थना...
हे पिता, धन्यवाद् आपके स्ताही प्रभाव के लिए । धन्यवाद् मुझे उठाने के लिए जब मैं निराश हुआ था, मुझे बचने के लिए जब मैं कंज़ोर था, और जब मैं टुटा हुआ था मुझे सुरक्षा देने के लिए । मैं आपको आपके अनुग्रह, आपकी महिमा, और आपकी नजदीकियों के लिए आपका धन्यवाद् । येशु के द्वारा मैं अपनी स्तुति और अनंत आभार आपको प्रगट करता हूँ । आमीन।