आज के वचन पर आत्मचिंतन...

मैन का तात मुझे पसंद हैं । वह चट्टानी तटीय रेखा, टकराती लहरें, और प्रकाश स्तंभ जो युक्तिपूर्ण और तटरेखा के अतिमजबूत स्थान पर स्तिथ हैं । मैन अपने आपको स्वर्ग में हमारे पिता के विषय में सोचने से नहीं रोक पता जब मैं उस धुंध को तट पर जमा होता देखता हूँ जो रुका हुआ तूफ़ान तट जोर शोर से आता हैं । तूफ़ान में — बादलों को चीरती बिजली, तेज़ हवाएं, लहरों का टकराना — वो रौशनी जो दिशा दिखती है, तत्वों के विरूद्ध मजबूत और मार्गदर्शन और उम्मीद की किरण । हाँ परमेश्वर, इस्राएल के यहोवा, सब कुछ के सर्वसमर्थी रचियता, मेरी रौशनी और उद्धार । मेरा जीवन, मेरा अन्नत भाग, उसके साथ सुपुर्द हैं । मैं नहीं डरने का चुनाव करता हूँ, मैं अपना भरोसा उस पर रखता हूँ ।

मेरी प्रार्थना...

स्वर्गीय पिता, पीढ़ियों से आपकी विश्वासयोग्यता के लिए मैं आपकी स्तुति करता हूँ । मैं आपके आशीषित प्रेम के लिए धन्यवाद् करता हूँ जो हमें हर पीढ़ी में कार्य करता हैं, अँधेरे क्षणों में आशा देने के लिए, उपद्रव के समय उद्धार देने के लिए और कमजोरी के कक्षाओं में ताकत देने के लिए । अब मैं आपसे पूछता हूँ की आप बहुतसे लोग के साथ होंगे जिन्हस मैं प्रेम करता हूँ। युद्ध के दौरान जो वह आपके लिए लड़ रही थी किसे साफ़ उपस्तिथि । येशु के नामसे प्रार्थना करता हूँ । आमीन ।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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