आज के वचन पर आत्मचिंतन...
प्रभु परमेश्वर के अनुग्रह और समर्थ के कारन हम विजयी होंगे । प्रकाशितवाक्य का यह अंतिम सन्देश है । पुरे वचन के दौरान यही गाना गाय गया हैं ।यह वह समाधान हैं जो हमे खुद परमेश्वर की ओर से हैं । हमारा जीवन व्यर्थ ही नहीं जिया जायेंगा । जो परमेश्वर के लोगों को उजागर करते और उसके प्रिय बच्चे, उसके ज्योति की संत, को धमकाते, अनादर करते, और बिगाड़ते हैं, वे पिता से जिनसे वे प्रेम करते हैं की और से सहायता और मुक्ति पाएंगे।
मेरी प्रार्थना...
प्रिय परमेश्वर, आज मैं विशेषकर आपके उन सेवकों के लिए प्रार्थना करता हूँ जो कठिन जगहों पर सुसमाचार सुनते हैं ।इनमे से कई बहुमूल्य लोग कैद में भी हैं । कुछ अतिवेदना का सामना कर रहे हैं । दूसरे बहिष्कार का सामना कर रहे हैं । कुछ को कार्यस्थल निकले जाने का सामना करना पड रहा हैं । कृपया उन्हें आज सामर्थ दे । कृपया उन्हें दुष्ट के दुष्ट प्रयोजन से छुड़ा अपने सामर्थी हांथों से उनकी सुरक्षा और उन्हें छुड़ा जैसे दानिएल को अपनी महिमा के लिए सिंहों के मुँह से छुड़ाया । येशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ । अमिन।