आज के वचन पर आत्मचिंतन...
तकलीफ ! तकलीफे कैसे सौभाग्य हैं ? वह तब तक नहीं जब तक वह येशु के लिए ना हो । याद हैं पहले के प्रेरितों ने इस कितने आनंद की बात जाना जब उन्हें नाम के निमित योग्य जाना गया ? (प्रेरितों के काम ५:४१) देखिये हम बचायें इस लिए उसने तकलीफे उठाई । जब हम मसीह और उसके राज्य के लिए तकलीफ उठाते हैं, हम दूसरों को प्रेरित करते हैं विपत्ति में विश्वासयोग्यता से जीए और सबको हमारे विश्वास की असलियत दिखा सकू। तो कुछ के पास कुछ भी मूलयवान जीवन, मृत्यु और तकलीफ के योग्य हैं । इन सब तीनो के लिए कारण है : हमारा जीवन येशु की जीत में ही पकड़ा हुआ। (रोमियों ८:३२- ३९, १ कुरुंथियों १५ )
मेरी प्रार्थना...
मुझे साहसी बना, हे परमेश्वर! तकलीफों के समय और सताव, कठिन परिश्रम और दुःख के समय मुझे विश्वासयोग्य होने में मेरी सहायता करो। येशु के नाम से । आमीन ।