आज के वचन पर आत्मचिंतन...

जब उनकी मद्दत करते है जो खुद की मद्दत नहीं कर सकते है — जिन्होंने खुद को समस्याओं में दाला, जिन्हपे झूठे आरोप लगाए गए है , जो मृत्यु का सामना कर रहे है — हम खुद येशु की मद्दत कर रहे है । येशु क्या करते? उनके निराशा और दुःख में वे किसी मद्दत करते परमेश्वर को ढूंढने में ।

मेरी प्रार्थना...

पिता, कृपया मुझे बुद्धि देना की मै आपके लोगो की मद्दत करने के अवसरों को पहचान कर उनको आपके अद्धभुत अनुग्रह की पहचान करने में उनकी मद्दत कर सकू। मेरे छुड़ानेवाले और मुक्तिदेनेवाले येशु के नाम से । अमिन ।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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