आज के वचन पर आत्मचिंतन...
जब उनकी मद्दत करते है जो खुद की मद्दत नहीं कर सकते है — जिन्होंने खुद को समस्याओं में दाला, जिन्हपे झूठे आरोप लगाए गए है , जो मृत्यु का सामना कर रहे है — हम खुद येशु की मद्दत कर रहे है । येशु क्या करते? उनके निराशा और दुःख में वे किसी मद्दत करते परमेश्वर को ढूंढने में ।
Thoughts on Today's Verse...
When we help those who can't help themselves — those who have gotten themselves in trouble, those who have been falsely accused, those who are facing death — we are helping Jesus himself. What would Jesus do? He would be helping someone find God out of their hopelessness and despair.
मेरी प्रार्थना...
पिता, कृपया मुझे बुद्धि देना की मै आपके लोगो की मद्दत करने के अवसरों को पहचान कर उनको आपके अद्धभुत अनुग्रह की पहचान करने में उनकी मद्दत कर सकू। मेरे छुड़ानेवाले और मुक्तिदेनेवाले येशु के नाम से । अमिन ।
My Prayer...
Father, please give me wisdom to see my opportunities to serve your people as I try to help them understand your incredible grace. In the name of my Redeemer, Savior, and Friend, Jesus. Amen.